निष्कर्षण उद्योगों के साथ संपर्क रखने वाले देशज लोगों के लिए एक "अच्छा" समझौता क्या बातें रखता है? कुछ समझौते दूसरों की तुलना में अधिक बेहतर क्यों हैं? और बातचीत के जरिए हुए समझौतों में देशज लोगों के लिए परिणामों में सुधार कैसे किया जा सकता है?
डॉ॰ साइरन ओ' फेयरियलहैग ने ऑस्ट्रेलिया में निष्कर्षण कंपनियों और आदिवासी समुदायों के बीच हुए चालीस से अधिक समझौतों का विश्लेषण करते हुए शोध किया है ताकि उन प्रक्रियाओं और सामग्री की पहचान की जा सके जो समुदायों के लिए सफल परिणामों में योगदान करती हैं. कार्यप्रणाली और पैमाने पर अतिरिक्त विवरण रिसर्च मेथोडोलॉजी साइडबार पर पाया जा सकता है.
डॉ॰ ओ'फेयरिलहेग के निष्कर्षों में निम्नलिखित बातें शामिल थीं:
- समझौतों की सापेक्ष शक्ति कंपनी की नीति, उद्योग क्षेत्र या कंपनी के आकार पर निर्भर नहीं करती है. एक ही कंपनी और एक ही सेक्टर के भीतर मज़बूत और कमजोर समझौते पाए गए थे, और कुछ मध्यम आकार की कंपनियों में मज़बूत समझौते हैं.
- कुछ समझौते देशज लोगों के लिए समझौता नहीं होने से भी बदतर हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, यद्यपि की राष्ट्रीय कानून नागरिकों को पर्यावरण संबंधी कानून प्रक्रिया में भाग लेने के कानूनी अधिकार को मान्यता देता है, फिर भी एक ऑस्ट्रेलियाई समझौता समुदाय को किसी भी प्रकार के कानून के तहत (जिसमें पर्यावरण कानून भी शामिल है) किसी भी सरकारी प्राधिकरण में आपत्तियाँ, दावे, या अपील को दर्ज कराने से प्रतिबंधित करता है. वह अनिवार्य रूप से नागरिकों के अधिकार छीनता है.
- यह एक आम भ्रम है कि एक समझौते के कुछ क्षेत्रों में मज़बूती अन्य क्षेत्रों में समझौतों की संभावना को दर्शाता है. हालाँकि, समझौते आम तौर पर मुद्दों के संग्रह के पूरे फलक पर मज़बूत अथवा कमजोर पाए गए थे. उदाहरण के लिए, यदि वित्तीय लाभ न्यूनतम थे, तो पर्यावरणीय प्रावधान के भी खराब होने की संभावना थी.
- कानूनी व्यवस्था महत्वपूर्ण है लेकिन निश्चित नहीं है. उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी हक़दारी अधिनियम (एनटीए) के तहत, जो ऑस्ट्रेलिया के अधिकांश हिस्सों को लागू है, यदि 6 महीने के भीतर कोई समझौता नहीं किया जाता है, तो एक सरकारी न्यायाधिकरण रियायत पुरस्कार के बारे में निर्णय लेता है (जो लगभग हमेशा ही रियायत को अनुमोदित कर देता है), और इसके तहत समुदाय को कोई लाभांश नहीं मिलेगा. निषेधाधिकार की एक वास्तविक कमी प्रभावों के बदले बिना मुआवज़े की संभावना के साथ जुड़ जाता है, इसका अर्थ है कि 6 महीने की समय सीमा समाप्त होने से पहले एनटीए के तहत समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए समुदायों को भारी दबाव का सामना करना पड़ता है. जबकि एनटीए क्षेत्रों में कुछ मज़बूत समझौते अभी भी किए गए थे जबकि उन क्षेत्रों में कई कमज़ोर समझौते भी थे. इसके विपरीत, उत्तरी क्षेत्र में कोई कमजोर समझौते नहीं थे, जहाँ कानून के तहत समुदाय के पास वीटो संभव है.
- सामुदायिक क्षमता वहाँ मायने रखती है; जहाँ प्रतिकूल नीतियों के बावजूद मज़बूत समझौते हुए. उन जगहों पर समुदाय बातचीत में सहयोग करने के लिए आर्थिक और तकनीकी संसाधनों के साथ मज़बूत क्षेत्रीय राजनैतिक नेटवर्क का उपयोग करने में सक्षम था. वे प्रत्यक्ष राजनैतिक कार्रवाई के ‘विश्वसनीय खतरे’ और मज़बूत कानूनी समझौतों के लिए क्षेत्रीय कानूनी रणनीतियों और मिसालों का निर्माण करने में सक्षम थे. (रेखाचित्र देखें)
- सबसे मज़बूत समझौते उद्योग के लिए लाभ प्रदान करते हैं. उच्च श्रेणीबद्ध समझौते, जहाँ उद्योग अच्छी प्रक्रिया व क्षमता निर्माण, निवेश और सांस्कृतिक उत्तराधिकार कानून का अनुपालन करते हैं, वहाँ ये समझौते ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी लोगों के साथ संबंधों का उत्थान कर सकते हैं और उनके समर्थन को बढ़ा सकते हैं, सांस्कृतिक उत्तराधिकार कानून के साथ पर्यावरणीय जोखिम को कम कर सकते हैं और उनके अनुपालन को सक्षम बना सकते हैं.
- ऑस्ट्रेलिया में भूमि परिषदें गहरी बैठी हुई सांस्कृतिक मूल से निकलती हैं जिन्हें विकसित होने में हज़ारों साल लगे हैं. किम्बरली भूमि परिषद में सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान की एक प्रणाली है जिसमें किम्बरली क्षेत्रके सभी समूह शामिल हैं, जो सहस्राब्दी से अस्तित्व में रहे हैं, और इसका उपयोग सांस्कृतिक कलाकृतियों और क्षेत्रीय सामारोहों के संगठन के प्रसारण में किया जाता है. भूमि परिषद, इस मंच के माध्यम से क्षमता निर्माण के ज़रिए एक क्षेत्र को एक साथ लाने और स्थानीय समझौते को बनाने हेतु सहयोग करने में सक्षम है.
अनुसंधान कार्यप्रणाली
यह विश्लेषण ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के लगभग पचास समझौतों, सामुदायिक परामर्श और बातचीत प्रक्रियाओं पर रिपोर्ट और प्रमुख परामर्श में डॉ॰ ओ'फेयरीयलहेग की प्रत्यक्ष अनुभवों से आया है. इसके लिए निम्नलिखित तत्वों में से प्रत्येक के लिए -1 से +6 का एक संख्यात्मक पैमाना विकसित किया गया था:
- सांस्कृतिक विरासत संरक्षण;
- पर्यावरण प्रबंधन में भागीदारी;
- राजस्व साझाकरण / लाभांश;
- आदिवासी रोज़गार और प्रशिक्षण;
- व्यवसाय विकास के अवसर;
- भूमि का उपयोग, भूमि तक पहुँच, और भूमि अधिकारों की मान्यता; तथा
- समझौता को लागू करना.
यह पैमाना बढ़ता हुआ नहीं है. समझौतों को उस पैमाने के उच्चतम बिंदु पर वर्गीकृत किया गया था जहाँ से वे नीचे आना शुरू कर देते हैं. उदाहरण के लिए, पर्यावरण प्रबंधन के क्षेत्र को निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया था:
- (-1) प्रावधान जो मौजूदा अधिकारों को सीमित करता है
- कोई प्रावधान नहीं
- खनन कंपनी पर्यावरणीय क़ानूनोंका पालन करने के लिए आदिवासी पक्ष के प्रति प्रतिबद्ध रहती है
- कंपनी प्रभावित आदिवासी लोगों के साथ परामर्श करने का दायित्व उठाती है
- आदिवासी दलों को पर्यावरणीय प्रणालियों और मुद्दों पर जानकारी का उपयोग करने और स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन करने का अधिकार है
- आदिवासी पक्ष पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के उत्थान हेतु उपाय सुझा सकते हैं,
- कुछ या सभी पर्यावरण प्रबंधन मुद्दों पर संयुक्त निर्णय लेना
- आदिवासी पक्ष के पास परियोजना से जुड़ी पर्यावरणीय चिंताओं या समस्याओं से निपटने के लिए एकतरफा कार्य करने की क्षमता है
डॉ॰ . ओ'फेयरिलहैग समुदायों के लिए बेहतर परिणामों के साथ अधिक मज़बूत समझौतों के निर्माण के लिए कुछ सिफ़ारिशें प्रदान करते हैं, जिनमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं :
- समुदाय नियंत्रित प्रभाव आकलन, समुदाय या समुदायों द्वारा आंतरिक विचार विमर्श के लिए एक मंच का निर्माण करके अंतिम वार्ता प्रक्रिया को कारगर बनाने में मददगार हो सकती है. यह प्रक्रिया तनावों को प्रकट करने और समुदायों में तथा समुदायों के बीच उन्हें हल करने की शुरुआत कर सकती है.
- यद्यपि क्षेत्रीय और देशज समुदायों के बीच तनाव मौजूद हो सकता है, लेकिन मज़बूत क्षेत्रीय नेटवर्क स्थानीय समुदायों को लाभ पहुंचाने वाली विशेषज्ञता और सामरिक क्षमता की पेशकश कर सकते हैं. मज़बूत स्थानीय प्रतिनिधि संरचनाओं के विकास को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
- उन कानूनों, संरचनाओं और संस्थानों में व्यापक स्तर पर सुधार की आवश्यकता है जो देशज समुदायों की वार्ता को कमज़ोर करते हैं और कमज़ोर समझौतों को कराने के लिए जिम्मेदार होते हैं.
Potential further resources include:
- Negotiations in the Indigenous World, 2015. Ciaran O’Faircheallaigh. Dr. O’Faircheallaigh’s research reviews agreement outcomes based on analysis of 45 negotiations between Aboriginal peoples and mining companies across Australia. It also includes detailed case studies of four negotiations in Australia and Canada.