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समझौतों को भी देखें.

कंपनियों और समुदायों की संबंधित भूमिकाओं और ज़िम्मेदारियों को स्थापित करने में समझौते एफ़.पी.आई.सी. कार्यान्वयन का एक केंद्रीय हिस्सा हैं. ये समझौते यथार्थवादी उम्मीदों, संचार तथा परियोजना संशोधन के लिए एक पारस्परिक सहमति का आधार निर्धारित कर सकते हैं.

चुकि बड़ी परियोजनाओं में समय के साथ परिवर्तन होता रहता है और ढाँचे में जटिल होती हैं, इसलिए समय के साथ कई समझौते उपयुक्त हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, किसी परियोजना के पूर्व-संभावना चरण में, प्रभाव और लाभकारिता का ज्ञान नहीं होगा, इसलिए अल्पकालिक अवधि के लिए भूमि की उपलब्धता और संचार प्रोटोकॉल इसका अनुभव कराएगा. जब तक कि कोई परियोजना परिपक्व न हो तब तक समापन करने की विस्तृत योजना संपन्न नहीं हो सकती. जब एक परियोजना कई समुदायों को प्रभावित करती है, तो कई समझौतों की आवश्यकता हो सकती है, और पक्षों द्वारा "बहुस्तरीय समझौतों" को वरीयता देनी पड़ सकती है, ताकि कुछ तत्वों (जैसे, संचार प्रक्रियाओं) को समझौते के अन्य हिस्सों पर फिर से बातचीत किए बिना आसानी से समायोजित किया जा सके. प्रत्येक परियोजना और प्रत्येक समुदाय अपनेआप में विशिष्ट है; उसी समय, अच्छे समझौतों में निम्नलिखित विचार शामिल होने चाहिए:

कंपनियों और समुदायों के बीच समझौतों के कार्यान्वयन और प्रबंधन में विवादों और शिकायतों को निपटाने से संबंधित अधूरे दायित्वों और प्रोटोकॉल को पूरा करने के लिए योजनाओं, समयसीमा, आकस्मिक ख़र्चों / जवाबदेही तंत्र को निर्धारित करना चाहिए.

  1. संचार और निर्णय लेने की प्रक्रिया॰कंपनियाँ और समुदाय उस समय ज्यादा प्रभावी ढंग से एक दूसरे से बातचीत कर पाएंगी जब दोनों ही निर्णय लेने की संबंधित प्रक्रिया, प्राधिकरणों और शासन संरचनाओं की पहचान करेंगे और उनपर समझ बनाएँगे. यह सभी पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है कि वे जारी सूचनाओं को साझा करने, निर्णय लेने के प्रोटोकॉल, अपनी भूमिकाओं तथा समयसीमा से संबंधित प्रक्रिया, आवृत्ति और सक्रियक का विवरण रखें. इन विवरणों में किसी भी चुनाव या प्रतिनिधित्व की समीक्षा, विवादों को चिन्हित करने, उन पर चर्चा करने और उन्हें हल करने के प्रयास, संभावित महत्वपूर्ण घटनाएँ जिनके लिए एफ़.पी.आई.सी. की ज़रूरत होगी; और इनमें से किसी भी प्रोटोकॉल का पुनर्मूल्यांकन और / या संशोधन की प्रक्रिया और उसकी आवृत्ति शामिल हो. संबंध प्रबंधन पर समझौते को प्रभाव और लाभों से अलग करना अनपेक्षित परिस्थितियों, परियोजना संशोधनों, कंपनी के भीतर बदलाव, समुदाय में बदलाव, या संदर्भ के लिए एक स्थिर रूपरेखा प्रदान करता है.
  2. प्रभाव और मुआवज़ा-समुदाय और कंपनियों को एक परियोजना के पर्यावरणीय, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों के बारे में तथा कैसे प्रभावों का प्रबंधन किया जाएगा के सम्बन्ध में एक साझा समझ पर पहुँचना चाहिए. समझौते के इस भाग को आधारभूत पर्यावरण, सांस्कृतिक और सामाजिक आकलन के साथ-साथ औपचारिक ईएसएचआईए द्वारा सूचित किया जाना चाहिए. यह परियोजना के दौरान भूमि और अन्य प्राकृतिक संसाधनों तक सामुदायिक पहुंच में परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार होना चाहिए. यह भी वर्णन करना चाहिए कि प्रभावों की निगरानी कैसे की जाएगी और जुड़ने वाले प्रभावों और विकसित होते समाजिक और सांस्कृतिक वास्तविकताओं, मूल्यों, और क्षमताओं का हिसाब रखने के लिए समय के साथ पुर्नमूल्यांकन करना चाहिए. यह वह जगह भी है जहाँ समुदाय के प्रति कंपनी के प्रभाव को कम करने, उसकी निगरानी करने, प्रबंधन करने, क्षतिपूर्ति करने के प्रति प्रतिबद्धताओं को दर्ज किया जा सकता है. मूल्य निर्दिष्ट करने तथा प्रभावों के बदले मुआवज़े को वितरित करने की प्रक्रिया पर चर्चा की जानी चाहिए (जैसे- किसी कंपनी के लिए चारागाह का मूल्य एक चरवाहे के लिए चारागाह के मूल्य से अलग है; और समुदायों के लिए मूल्य हमेशा पैसे में नहीं होता है). जवाबदेही और लचीलेपन के दृष्टिकोण से, यह महत्वपूर्ण है कि समझौते निर्दिष्ट करें कि अगर कंपनियाँ इन प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करें तो क्या होगा.
  3. साझा लाभ-सामुदायिक लाभ प्रभाव क्षतिपूर्ति से भिन्न होते हैं, और यह नकारात्मक प्रभावों के लिए कंपनी द्वारा क्षतिपूर्ति के बीच अंतर करने के लिए उपयोगी हो सकता है, और सहमति से तय किया गया लाभ कंपनी समुदाय को वितरित करेगी. जब लाभ का स्तर वाणिज्यिक कारकों पर निर्भर करे जैसे कि वस्तु की कीमत, तो इसे समझौते में शामिल किया जा सकता है.

समझौतों को विकसित करने की प्रक्रिया उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी की अंतिम रूप देने के प्रक्रिया. यह सुनिश्चित करना कि समुदायों के पास पर्याप्त समय और श्रोत हैं (संभावित बाहरी परामर्शदाता सहित) एक संभावित समझौते के भीतर स्थितियों के बारे में पूरी तरह से विचार करना और विचार करने के लिए स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति हासिल करना आवश्यक है.

ये चर्चाएँ कंपनी और समुदाय को प्रभावों, भविष्य के विकास और लाभों के लिए एक सामूहिक दृष्टि और यथार्थवादी अपेक्षाएँ विकसित करने का अवसर प्रदान करती हैं. समझौते "ट्रस्ट निधियों" की भूमिका और कैसे समुदाय के भीतर विविध आवश्यकताओं को प्रतिबिंबित किया जा सकता है और उनमें हेरफेर को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है की देख रेख कर सकते हैं. कंपनियों और समुदायों के बीच समझौतों द्वारा कार्यान्वयन और प्रबंधन योजनाओं, समय सीमाओं, आकस्मिकताओं / जवाबदेही तंत्रों को निर्धारित करना चाहिए, जिसमें विवादों और शिकायतों के प्रबंधन के लिए बाध्यताविहीन समाधान और प्रोटोकॉल शामिल हों. की सफलता के लिए कंपनी संसाधनों का पर्याप्त आवंटन महत्वपूर्ण है. प्रभाव को कम करने, क्षतिपूर्ति और सामुदायिक लाभों के अनुरूप संचालन और पूंजीगत बजट के अलावा, कानूनी सलाहकार, स्वतंत्र निगरानी या सलाहकार के लिए श्रोत आवंटित करना अथवा समुदाय के सदस्यों के लिए पहचान की भूमिका को निभाने के लिए धन / क्षमता का आवंटन भी महत्वपूर्ण हो सकती है.

समझौतों को विकसित करने की प्रक्रिया उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी की अंतिम रूप देने के प्रक्रिया. यह सुनिश्चित करना कि समुदायों के पास पर्याप्त समय और श्रोत हैं (संभावित बाहरी परामर्शदाता सहित) एक संभावित समझौते के भीतर स्थितियों के बारे में पूरी तरह से विचार करना और विचार करने के लिए स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति हासिल करना आवश्यक है. समझौतों की ओर जाने वाले विचारशील, समावेशी जुड़ाव के महत्व पर अतिरिक्त दिशानिर्देश के लिए कृपया एफ़.पी.आई.सी. में समावेशिता और लिंग श्रोत देखें. यह सुनिश्चित करने के लिए कि समझौते समुदाय के लिए सकारात्मक परिणाम की ओर ले जाते हैं, समझौतों और सामुदायिक परिणामों का श्रोत भी ढेर सारे विचारों का आधार देता है. कृपया एफ़.पी.आई.सी. में समावेशिता और लिंग श्रोत देखें. यह सुनिश्चित करने के लिए कि समझौते समुदाय के लिए सकारात्मकपरिणाम की ओर ले जाते हैं, समझौतों और सामुदायिक परिणामों का श्रोत भी ढेर सारे विचारों का आधार देता है.

इसके अलावा संसाधन:
लिंग और समावेशन
अनुबंध और सामुदायिक बादलाव
Why Agreements Matter, 2016. Ali, S., Brereton, D., Cornish, G., Harvey, B., Kemp, D., Everingham, J. and Parmenter, J. This document contains a “How to guide” outlining key elements of agreements, good practices for inclusive engagement in agreement-making, and practical guidance for planning for successful implementation and monitoring.