खनन, उर्जा या कृषि के क्षेत्र में लगाने वाली बड़ी परियोजनाएं सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव डालती हैं. आम तौर पर वे भूमि तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों तक समुदाय के लोगों की पहुंच को सीमित करती है और परियोजना अपने कार्यकाल के दौरान परियोजना स्थल के भू-खंड पर बुरा प्रभाव डालती है तथा कभी-कभी यह प्रभाव स्थाई बन जाता है.
यह महत्वपूर्ण है कि कम्पनियाँ और समुदाय दोनों ही एक-दूसरे से जानकारी साझा करते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए एक-दूसरे से बातचीत करते हैं कि समुदाय के लोग पहले से ही जान सकें कि परियोजना उन्हे किस प्रकार प्रभावित करेगी. कंपनियों द्वारा परियोजना की रूपरेखा बनाते समय यदि समुदाय की चिंताओं को शामिल किया जाता है, तो समाजिक और आर्थिक विकास की यह प्रक्रिया समुदाय के आकांक्षाओं के अनुरूप विकास को आगे बढ़ाता है. सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव की क्षतिपूर्ति के तरीकों को लेकर कंपनियों और समुदायों के बीच एक तरह की सहमति होनी चाहिए, नकारात्मक प्रभाव के बदले समुदायों को क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए और यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि परियोजना किस प्रकार से समुदाय को लाभ पहुंचा सकता है. देशज समुदायों के संबंध में, स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति की प्रक्रिया है जो कंपनी और समुदाय दोनों को एक साथ लाता है तथा समुदायों को परियोजना चालू करने की अनुमति देने या उसे रोकने की क्षमता प्रदान करता है.
देशज समुदायों के संबंध में, स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति की प्रक्रिया है जो कंपनी और समुदाय दोनों को एक साथ लाता है तथा समुदायों को परियोजना चालू करने की अनुमति देने या उसे रोकने की क्षमता प्रदान करता है.
यह मार्गदर्शिका सबके लिए एक साझा ढाँचागत योजना प्रदान करना चाहती है, जो समुदायों और कंपनियों दोनों के ही लिहाज से उपयोगी हो तथा दोनों के बीच संवाद को इस तरह से व्यवस्थित करती है कि वह परियोजना स्थल की खोज व जांच-पड़ताल करने, उसका विकास करने, संचालन करने, विस्तार करने, और उसे बंद करने की प्रक्रिया में व्यावहारिक तौर पर लाभकारी हो.
यह मार्गदर्शिका एक विनम्र भावना के साथ पेश की जा रही है. हम मानते हैं कि एफ़.पी.आई.सी. को लागू करने से संबंधित बारीकीयों पर हमारी अपनी समझदारी नाकाफी है और इसका लगातार विकास हो रहा है. हम यह मानते हैं कि इस मार्गदर्शिका में ढेर सारे महत्वपूर्ण विषय अनुपस्थिति हैं ...हम इन तथ्यों को बनाए रखने, छूट गए विषयों को इसमें जोड़ने, लगातार नए तथ्यों के साथ इसका नवीनीकरण तथा इसको समृद्ध करने की आशा करते हैं जैसा कि हम साझा अनुभवों और चल रहे संवाद से सतत सीख रहे हैं और और आगे बढ़ रहे हैं.
इस मार्गदर्शिका को रेज़ोल्व द्वारा विकसित किया गया है, जिसका मकसद वर्ष 2012 से चल रहे गतिविधियों के अन्तर्दृष्टि को समझना तथा नागरिक समाज, देशज समाज के प्रतिनिधियों और उद्यमों को साथ लाना है ताकि वे कंपनियों और समुदाय के लिए एफ़.पी.आई.सी. प्रक्रिया के दौरान एक साथ काम करने के लिए व्यावहारिक तरीकों का पता लगा सकें. एफ़.पी.आई.सी. सलूशन डायलॉग गैर सरकारी संगठनों, सामुदायिक प्रतिनिधियों, और कंपनियों के बीच एफ़.पी.आई.सी. के प्रति प्रतिबद्धता के साथ एक सहकार्य है, ताकि दोनों पक्ष साथ-साथ काम करते हुए अधिकार आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया को सहयोग देने के लिए एक व्यावहारिक मार्गदर्शन का विकास कर सकें. सदस्य लोग वर्षों से अपने अनुभव, चुनौतियाँ और सुझावों को एक-दूसरे से साझा करते रहे हैं, जिससे ढेर सारी साझा समझ निकल कर सामने आई हैं और जिन्होंने सदस्यों को अपने स्वयं के एफ़.पी.आई.सी. सिद्धांतों के कार्यान्वयन में मदद की है.
यह मार्गदर्शिका सामूहिक अंतर्दृष्टि को अधिक व्यापक रूप से साझा करने का एक प्रयास है. हम पाते हैं कि यद्यपि कंपनियाँ अच्छी मंशा के साथ काम कर रही होती हैं फिर भी असहमति और बातचीत टूटने की घटनाएँ हो सकती हैं. इस तरह की समस्याएं साझा समझ और / या दोनों पक्षों के बीच ज़रूरतों, क्षमताओं, ज्ञान और अपेक्षाओं के संबंध में प्रभावी बातचीत की कमी के कारण उपजती हैं. यह मार्गदर्शिका इस तरह के समस्याओं को पहचानने में कंपनियों और समुदायों को मदद करती है और उन्हें एक रचनात्मक एफ़.पी.आई.सी. प्रक्रिया जो परियोजना में शामिल अधिकार धारकों और हितधारकों के अनुकूल हो, के बारे में बताने के लिए समझ, संकेत और श्रोत प्रदान करती है.
इस मार्दार्शिका को मील के पत्थर साबित होने वाले निर्णयों की मदद से बनाया गया है, जो उपयोगकर्ताओं को परियोजना जीवन चक्र के प्रत्येक चरण में एफ़.पी.आई.सी. के प्रमुख विचारों को पहचानने में मदद करता है. दो निर्णयों के बीच आने वाले प्रत्येक निर्णयखंड में उस खंड के प्रमुख विचार और परिप्रेक्ष्य “समुदायों के लिए” दृष्टिकोण को एक आधार देते हैं, जो समुदायों के लिए सहायक हो सकते हैं. "कंपनियों के लिए" निर्णय खंड उसी तरह के मार्गदर्शन पर रौशनी डालते हैं. हम पाते हैं कि ये प्रमुख निर्णय निष्कर्षण परियोजनाओं के विशिष्ट विकास चक्र को दर्शाते हैं; जबकि एफ़.पी.आई.सी. के सिद्धांत हर प्रकार के क्षेत्रों में समान बने रहते हैं, जबकि दूसरे प्रकार की परियोजनाओं के लिए उनके विशिष्ट चरण और संबंधित जानकारियाँ भिन्न प्रकार की हो सकती हैं.
ढेर सारे मुद्दे और सिद्धांत जिसमें की अनुबंध करना ,, जेंडर और समावेशिताके विचार तथा और बातें शामिल हैं, सभी चरणों का हिस्सा हैं. इन सभी मुद्दों की चर्चा पूरे मार्गदर्शिका में की गई है तथा एक "श्रोत" खंड के रूप में उनका एक जगह संग्रह पाया जा सकता है.
यह मार्गदर्शिका एक विनम्र भावना के साथ पेश की जा रही है. हम मानते हैं कि एफ़.पी.आई.सी. को लागू करने से संबंधित बारीकी पर हमारी अपनी समझदारी नाकाफी है और इसका लगातार विकास हो रहा है. हम यह भी मानते हैं कि इस मार्गदर्शिका में ढेर सारे महत्वपूर्ण विषयों की अनुपस्थिति है, विशेषकर सरकार की भूमिका से संबंधित. लेकिन इसके साथ ही शिकायत तंत्र, आधारभूत अध्ययन और प्रभाव आकलन तथा एफ़.पी.आई.सी. में स्वामित्व हस्तांतरण और देखभाल और रखरखाव तथा अन्य कई बातें इसमें शामिल हैं. हम इसे बनाए रखने, छूट गए विषयों को इसमें जोड़ने, लगातार नए तथ्यों के साथ इसका नवीनीकरण तथा इसको समृद्ध करने की आशा रखते हैं जैसा कि हम साझा अनुभवों और चल रहे संवाद से सतत सीख रहे हैं और और आगे बढ़ रहे हैं.
अनुशंसित प्रशस्ति पत्र
संस्तुष्टत उद्धरण: एफ़.पी.आई.सी का अभ्यास : एफ़.पी.आई.सी.सॉल्यूशंस डायलॉग की अंतर्दृष्टि, 2021 केनेडी, टी. मार्टृन, टी. ली, एम. रेज़ोल्व.