जब कंपनी ने फैसला कर लिया है कि वह काम को आगे बढ़ाना चाहेगी, तो उस समय कंपनी और समुदाय के बीच चर्चा के आधार के बतौर अधिक विस्तृत जानकारी उपलब्ध होती है, जो प्रभावित हो सकती है. मूल मुद्दों में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:
- प्रारंभिक परियोजना डिज़ाइन के विचार में, पर्यावरण, सामाजिक, या सांस्कृतिक महत्व के क्षेत्रों पर सलाह देने के लिए समुदायों के साथ परामर्श और निवेश करना शामिल होना चाहिए. इन विचारों को ध्यान में रखते हुए जहाँ आवश्यकता हो सामुदायिक क्षमता निर्माण के लिए संसाधनों का आवंटन किया जाना चाहिए.
- औपचारिक पर्यावरणीय, सामाजिक और स्वास्थ्य प्रभाव मूल्यांकन (ईएसएचआईए) किस प्रकार किया जाएगा, जिसमें समुदाय का योगदान, संलग्नता अथवा परामर्श शामिल हो सके.
- प्रत्याशित अनुमति प्रक्रिया, जिसमें अभी तक के काम और प्रगति की जानकारी शामिल हो.
- जब ईएसएचआईए संचालित किया जाता है तो उसके क्या प्रभाव हो सकते हैं, प्रभाव कम करने के क्या संभव उपाय हो सकते हैं, और प्रभाव कम करने में सामुदायिक प्राथमिकताएं या वरियताएं क्या हैं?
- यदि प्रभावों को कम नहीं किया जा सकता है, तो क्या समुदाय तब भी परियोजना पर विचार करने के लिए तैयार है? इन प्रभावों के बदले कौन सा मुआवजा उचित है?
- क्या साझा लाभ (संभावित रूप से खनिज / तेल की कीमत पर निर्भर) को एक औपचारिक सहमति समझौते में शामिल किया जाना चाहिए?
- समझौतों का प्रबंधन कैसे होगा?
- क्षतिपूर्ति और लाभ को कैसे वित्तपोषित और वितरित किया जाएगा? इसमें निगरानी और शासन- विधि महत्वपूर्ण पहलू हैं.
- पहले से ही किन बिन्दुओं को आधार बनाकर सूचना साझा करने और निर्णय लेने की प्रक्रिया चली आ रही है, और वह कैसे बनेंगे? किस प्रकार से कंपनी नई खोजों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और परियोजना की योजनाओं में संभावित परिवर्तनों से संबंधित आगे की सहमति प्रक्रिया की पहल करेगी?
- शिकायत तंत्र के बारे में चर्चा कि शिकायतों तक कैसे पहुंचा जा सकता है; और क्या उन तक न्यायसंगत और समावेशी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए किसी समायोजन की आवश्यकता है.
- परियोजना में संभावित बदलाव कैसे होंगे, जैसे - विस्तार, नए / संयुक्त संचालक साझेदार, या समय से पहले समापन के संबंध में किस आधार पर परामर्श और निर्णय लिया जाएगा? ये परिवर्तन क्षतिपूर्ति या लाभ के बंटवारे के लिए मौजूदा समझौतों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं?
सरकारें जो देशज समुदायों के भूमि अधिकारों को मान्यता नहीं देती हैं या जिन्हें एफ़.पी.आई.सी. की आवश्यकता नहीं होती है, वे समुदाय की सहमति के बिना ही परियोजना को अनुमति प्रदान कर सकती हैं. जहाँ देशज अधिकारों को कोई राष्ट्रीय मान्यता नहीं है, वहाँ अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त देशज अधिकार मार्गदर्शक सिद्धांत के बतौर लागू होने चाहिए. एफ़.पी.आई.सी. के प्रति प्रतिबद्ध कंपनी कभी भी निर्माण या संचालन प्रारंभ करने से पहले प्रभावित देशज समुदायों से औपचारिक सहमति लेगी.
पूर्व-अनुमति चरण में, समुदायों को कंपनी से सामुदायिक मूल्यों और प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी प्रदान करने और परियोजना डिज़ाइन के बारे में बताने हेतु सक्षम होने के लिए प्रमुख जानकारियाँ इकट्ठा करने की ज़रूरत होती है. सूचना का यह आदान-प्रदान कंपनी और समुदाय के बीच विश्वास पैदा करने और परियोजना को आगे बढ़ने के लिए सहमति देनी है या नहीं, इस संबंध में समुदाय के निर्णय के बारे में बताने के लिए महत्वपूर्ण है.
इस स्तर पर, कंपनी को इस बात की पुष्टि करनी होती है कि विकास में लगाने योग्य संपत्ति है और संभावित
परियोजना डिज़ाइन पर विचार करना शुरू कर रही है (जैसे- कहाँ कारख़ाना लगाना है, वहाँ पानी के उपयोग
के स्थान, आदि का पता लगाने के लिए). अधिकांश सरकारों को एक पर्यावरणीय, सामाजिक और स्वास्थ्य
प्रभाव आकलन (ईएसएचआईए) करने की आवश्यकता होगी, जिसमें कंपनी किसी भी प्रकार के प्रत्याशित
प्रभावों का तथा उन्हें कैसे कम किया जाए या क्षतिपूर्ति किया जाए के बारे में बताती है. ईएसएचआईए को सरकार के समक्ष अनुमोदन हेतु प्रस्तुत करने से पहले समुदाय द्वारा इन आकलनों के संदर्भ में अपनी राय रखनी चाहिए और संबंधित फ़ैसलों में हिस्सेदारी निभानी चाहिए.
यह बात ध्यान देने योग्य है कि कंपनी के कर्मचारी अक्सर निवेशकों या कॉर्पोरेट मुख्यालयों के तरफ से दबाव
में रहते हैं कि वे शीघ्र अनुमति प्राप्त करें. हालांकि, जिन स्थलों पर सामुदायिक समर्थन नहीं मिल रहा है वहाँ
पर विवाद बहुत महंगा साबित हो सकता है. इस चरण में समुदायों को न्याय संगत और टिकाऊ समझौते के विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक सकारात्मक संबंध के भीतर सचेत, सूचित विचार विमर्श पर ज़ोर देने
का अधिकार है.
समुदायों के लिए आवश्यक जानकारी:
- संपत्ति (जमा) और किसी भी महत्वपूर्ण डिज़ाइन पर सोच विचार (महत्वपूर्ण भूमि, सांस्कृतिक स्थलों, या संरक्षित करने के लिए अन्य संसाधनों के बारे में समुदाय के लक्ष्य जानने और उनको प्रतिक्रिया देने में मदद करने के लिए) के बारे में क्या ज्ञात है?
- अधिक जानकारी कब मिलेगी और कंपनी उस जानकारी को कैसे साझा करेगी?
- जब डिज़ाइन विकल्पों को आगे बढ़ाया जाता है तो उसके संभावित प्रभाव (सकारात्मक और नकारात्मक) क्या हो सकते हैं और सभी विकल्पों में से किस प्रकार के समझौते हो सकते हैं? संभावित प्रभावों को कम करने के लिए क्या विकल्प मौजूद हैं? जिन प्रभावों को कम नहीं किया जा सकता है उनके लिए किस तरह की क्षतिपूर्ति प्रदान की जाएगी और कब?
- कंपनी की कानूनी सलाह और अनुमति की आवश्यकताएं क्या हैं और इस प्रक्रिया से क्या मिलेगा (जानकारी एकत्र करने और प्रस्तुत करने के लिए समयसीमा आदि शामिल करते हुए)?
कुछ बातें इन सवालों पर कार्य कर रहे समुदाय और कंपनी दोनों के लिए मूल बात पर सहमति बनाने में मददगार हो सकता है, जिसमें शामिल हैं:
- समुदाय किन मुद्दों या प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी चाहता है और / या उनमें तुलना करता है?
- कंपनी यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि विशिष्ट और तकनीकी जानकारी आसान और स्वीकार्य तरीके से प्रदान की जाती है (उदाहरण के लिए, स्थानीय भाषाओं में, आसान करने के लिए उपयोगी प्रारूप, और / या सामुदायिक सदस्यों के लिए जो कानूनी या इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि से नहीं हैं)? क्या बाहरी विशेषज्ञता ज़रूरी है? विशेषज्ञों या सलाहकारों का चयन कैसे किया जाता है, और उनका भुगतान किस प्रकार किया जाता है?
- क्या यहाँ कोई फ़ोरम या तंत्र पहले से मौजूद हैं, या यह नए फ़ोरम / तंत्र स्थापित करने में मददगार होगा जहाँ नियमित रूप से सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है?
- एक बार कंपनी से जानकारी प्राप्त कर लेने के बाद, समावेशी विचार-विमर्श और निर्णय लेने में मदद करने के लिए समुदाय के भीतर किन प्रक्रियाओं को करने की आवश्यकता है? क्या ऐसे अन्य लोग हैं जिनसे परामर्श लेने की आवश्यकता है?
- कंपनी समुदाय को निर्णय लेने में एक तरह से और कैसे मदद कर सकती है ताकि बाधाओं को ख़त्म करने में मदद मिले (जैसे- परिवहन और बच्चों की देखरेख संबंधी सहायक सामाग्री या उनके श्रोत उपलब्ध कराकर).
जानकारी साझा करने हेतु एक स्पष्ट प्रक्रिया और प्रोटोकॉल मौजूद होने के अलावा, समय से महत्वपूर्ण प्रश्नों की पहचान करने के क्रम में जानकारी को स्वीकाकार्य बनाना, जहाँ आवश्यक हो वहाँ सलाह लेना तथा अंतिम निर्णय को लागू करना महत्वपूर्ण है.
इसके अतिरिक्त, आंतरिक (समुदाय के भीतर) यह सूचना साझा करना महत्वपूर्ण है कि इस चरण में इस बात का पूरी तरह से निर्धारण करने के लिए कि किसी भी निर्णय से समुदाय के सभी हिस्से किस प्रकार से प्रभावित होंगे, और यह सुनिश्चित करना कि जो किसी भी प्रभाव से सबसे ज़्यादा त्रस्त हैं वे उस प्रभाव को कम करने के प्रयास और या क्षतिपूर्ति उपायों से संतुष्ट हों.
इस चरण के समापन पर, समुदाय को अंतिम सहमति या समझौतों के समुच्चय पर अपनी सहमति देने के लिए कहा जाएगा जो परियोजना को कुछ शर्तों (प्रभाव को कम करना, क्षतिपूर्ति और लाभ को साझा करना) के तहत आगे बढ़ने की अनुमति देता है. कृपया समझौतों को भी देखें..
कंपनी के कर्मचारियों पर अक्सर अनुमति पाने की प्रक्रिया में तेजी लाने का दबाव होता है, लेकिन यदि यह गति समुदाय के एफ़.पी.आई.सी. की कीमत पर आती है, तो परियोजना को प्रतिरोध, महंगे विरोध, समय / श्रोत की कमी से संबंधित शिकायतों, स्थानीय और वैश्विक दोनों तरह के प्रतिष्ठा के नुकसान आदि का सामना करना पड़ सकता है.
इस चरण में होने वाले सभी अभियांत्रिकी कार्यों और सरकारी अनुमोदन प्रक्रियाओं के लिए कंपनियों की अपनी जाँच सूची होती है, तो भी इन योजनाओं में समय पर सामुदायिक सहभागिता को शामिल करने में वे अक्सर विफल हो जाती हैं. निश्चितता के स्तरों के बारे में स्पष्ट होने के बावज़ूद, समुदायों को परिचालन डिज़ाइन के कुछ सबसे बुनियादी सिद्धांतों पर काम करने और तुलना करने के लिए आवश्यक समय और अवसर देना भी महत्वपूर्ण है. मुख्य स्थल घटकों के बारे में प्रारंभिक और समावेशी परामर्श महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक या पर्यावरणीय प्रभावों से बचने वाले एक डिज़ाइन के बारे में जानकारी देने में मदद कर सकता है.
एक प्रमुख प्रक्रियात्मक आवश्यकता होने के अलावा, एक अच्छा पर्यावरणीय, सामाजिक, और स्वास्थ्य प्रभाव आकलन एफ़.पी.आई.सी. को सुरक्षित करने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण है. इसके अलावा निम्न अन्य बातें इसमें शामिल होना चाहिए:
- लिंग-असहमति आधारभूत डाटा और लिंग प्रभाव विश्लेषण
- मानवाधिकार पर संभावित प्रभावों का आकलन
- कमजोर व्यक्तिय या उनके समूह
- संभावित सामाजिक प्रभावों का आकलन जो लोगों और संसाधनों की आमद और समुदाय में गतिविधियों से जुड़ा है, जिसमें घरों में होने वाली हिंसा और झगड़े शामिल हैं जब आर्थिक अवसरों में बदलाव के चलते पुरुषों और महिलाओं की पारंपरिक भूमिकाओं में बदलाव आता है.
- सांस्कृतिक और सांस्कृतिक विरासत पर संभावित प्रभावों का आकलन.
अक्सर इस बात की अनदेखी होती है कि समुदायों को उनके अधिकार क्या हैं, वे अपने अधिकारों का तथा शिकायत तंत्र का कैसे उपयोग करें और समस्या समाधान के अन्य उपायों जैसे-सरकारी तंत्र आदि से परिचित हो सकते हैं को जानने में मदद करना उनके क्षमता निर्माण का महत्वपूर्ण पक्ष है. कंपनियाँ इस प्रकार के क्षमता निर्माण को आगे बढ़ाने के लिए अनिच्छुक हो सकती हैं, क्योंकि यह मूल विशेषज्ञता से बाहर है; इन प्रशिक्षणों को देने के लिए के लिए किसी तीसरे पक्ष को काम पर रखा जा सकता है.
अक्सर इस बात की अनदेखी होती है कि समुदायों को यह जानने मे मदद करना कि उनके अधिकार क्या हैं, वे अपने अधिकारों का तथा शिकायत तंत्र का कैसे उपयोग करें और समस्या समाधान के अन्य उपायों जैसे-सरकारी तंत्र आदि से परिचित हो सकते हैं, उनके क्षमता निर्माण की का महत्वपूर्ण पक्ष है. कंपनियाँ ऐसी क्षमता निर्माण में के आगे बढ़ाने के लिए अनिच्छुक हो सकती हैं, क्योंकि यह मूल विशेषज्ञता से बाहर है; इन प्रशिक्षणों को देने के लिए के लिए किसी तीसरे पक्ष को काम पर रखा जा सकता है.
कंपनियों को अपने स्वयं के ज्ञान की कमी के बारे में भी पता होना चाहिए और सामुदायिक संस्कृति, विश्वदृष्टि, परंपराओं, निर्णय लेने की प्रक्रिया और अन्य सामुदायिक पहलुओं को समझने में आवश्यक समय देना चाहिए.
इस चरण में वे तरीके जिनके माध्यम से कंपनियाँ परस्पर विश्वास का रिश्ता बना सकती हैं, निम्न हैं:
- जिन सूचनाओं को इकट्ठा करने में समुदाय शामिल नहीं हो सकता है उन्हें सतत और उम्मीद के मुताबिक साझा करना, अनिश्चितताओं / संभावनाओं (और आत्मविश्वास के स्तर) और प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी सहित नियमित और अनुमानित जानकारी साझा करना.
- स्वयं की प्रक्रियाओं में समुदायों को शामिल करने के लिए जगह बनाना (जैसे, देशज नेतृत्व में प्रभाव आकलन के माध्यम से)
- जानकारी साझा करने और प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम स्वरूपों / मंचों के साथ-साथ संवाद / प्रश्नोत्तर, और निर्णय लेने के लिए समुदायों के साथ चर्चा और सहमति.
- पूछताछ करें कि कंपनी समुदाय पर बिना दबाव बनाए समुदाय के साथ विचार-विमर्श करने और निर्णय लेने को रचनात्मक रूप से कैसे सरल बना सकती है. (जैसे, बैठकों के लिए परिवहन प्रदान करना, एक निश्चित समयअंतराल पर भोजन प्रदान करना, बच्चों के देखरेख की सुविधा प्रदान कर महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना आदि)
- जब अधिक जानकारी जुटाना हो तो समयसीमा तय करें और हर समय की जानकारी साझा करने के लिए प्रतिबद्ध रहें
- इस बात पर सहमत हों कि जानकारी को कैसे और कब साझा किया जा सकता है, समुदाय कब और कैसे चर्चा करने और चर्चा में अपनी बात रखने में शामिल हो सकता है, और अंतिम निर्णय कैसे किया जाएगा.
- चुनौतियों का निवारण करने में मदद करना (उदाहरण के लिए, अगर किसी समुदाय को जानकारी पर समझ बनाने या किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए विशेषज्ञ सलाह की आवश्यकता होती है, तो एक विशेषज्ञ को नियुक्त करने के लिए हर संभव श्रोत उपलब्ध करना.