निर्माण से गतिविधि और परिवर्तनों की एक बाढ़ आती है. लोगों, वाहनों और मशीनरी के प्रवाह के कारण शोर-शराबा और धूल का स्तर बढ़ सकता और साथ-साथ आवास, बाजार और अन्य स्थानीय प्रणालियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नई मांगों को दबाव बढ़ा सकता है. पूर्व-अनुमति चरण के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव आकलन प्रक्रिया में प्रभाव कम करने के उपाय के साथ अधिकांश प्रभावों की पहचान की जानी चाहिए. लेकिन यदि वास्तविकता अपेक्षाओं से भिन्न होती है या प्रत्याशित नहीं हैं, तो चिंताएं या तनाव उत्पन्न हो सकते हैं. प्रतिबद्धताओं को पूरा न करना या उन्हें पूरा करने में देरी असंतोष और अविश्वास पैदा कर सकती है.

निर्माण से गतिविधि और परिवर्तनों की एक बाढ़ आती है. लोगों, वाहनों और मशीनरी के प्रवाह के कारण शोर-शराबा और धूल का स्तर बढ़ सकता और साथ- साथ आवास, बाजार और अन्य स्थानीय प्रणालियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नई मांगों को दबाव बढ़ सकता है. पूर्व-अनुमति चरण के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव आकलन प्रक्रिया में प्रभाव कम करने के उपाय के साथ अधिकांश प्रभावों की पहचान की जानी चाहिए. लेकिन यदि वास्तविकता अपेक्षाओं से भिन्न होती है या प्रत्याशित नहीं हैं, तो चिंताएं या तनाव उत्पन्न हो सकते हैं. प्रतिबद्धताओं को पूरा न करना या उन्हें पूरा करने में देरी असंतोष और अविश्वास पैदा कर सकती है.

निर्माण से गतिविधि और परिवर्तनों की एक बाढ़ आती है. लोगों, वाहनों और मशीनरी के प्रवाह के कारण शोर-शराबा और धूल का स्तर बढ़ सकता और साथ-साथ आवास, बाजार और अन्य स्थानीय प्रणालियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नई मांगों को दबाव बढ़ा सकता है. पूर्व-अनुमति चरण के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव आकलन प्रक्रिया में प्रभाव कम करने के उपाय के साथ अधिकांश प्रभावों की पहचान की जानी चाहिए. लेकिन यदि वास्तविकता अपेक्षाओं से भिन्न होती है या प्रत्याशित नहीं हैं, तो चिंताएं या तनाव उत्पन्न हो सकते हैं. प्रतिबद्धताओं को पूरा न करना या उन्हें पूरा करने में देरी असंतोष और अविश्वास पैदा कर सकती है.

बहुत महत्वपूर्ण ढंग से परियोजना स्थल का "जीवन काल" कुछ वर्षों से लेकर कई दशकों तक का होता है. जब परियोजना स्थल का विकास होता है और वह संचालन के एक लय (सीमा) तक पहुँचती है, तो चल रहे कार्य, संचार, और संयुक्त निर्णय लेने (जैसे- मासिक बैठकें, शिकायत तंत्र, सामुदायिक विकास योजना) के लिए सहमत तरीका और प्रोटोकॉल को समय-समय पर संशोधित और समायोजित करने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सभी शामिल पक्षों की उभरती ज़रूरतों और वास्तविकताओं के अनुरूप हों.

परियोजना स्वामित्व और कंपनी कर्मचारी अक्सर परियोजना की खोज, निर्माण और दीर्घकालिक संचालन के परिवर्तनकाल में बदल जाते हैं. जब ऐसा होता है, तो समझौतों, प्रतिबद्धताओं और संचार प्रणाली को प्रभावी ढंग से स्थानांतरित करने के लिए प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है. प्रतिबद्धताओं को स्थानांतरित करने में विफलता तनाव और अविश्वास का खतरा पैदा करती है.

पूर्व-अनुमति चरण में हुए समझौतों को परियोजना के विकास तथा संचालन चरण में संचार और कार्य करने के लिए एक रोडमैप के रूप में सहायक होना चाहिए. इस चरण में समुदायों और कंपनियों को निम्न कार्य करना चाहिए:

  • कई विधियों से कार्य से जुड़ना, जैसे कि सामुदायिक संबंध अधिकारियों द्वारा नियमित दौरा; चुनौतियों या चिंताओं को समेटने, उन्हे हल करने तथा उनपर संवाद करने के लिए एक शिकायत तंत्र का उपयोग; किसी निश्चित अंतराल पर बैठकों का आयोजन; सामुदायिक विकास निधियों और परियोजनाओं के संचालन की देखरेख या सलाह देने के लिए संयुक्त समितियाँ; आदि.
  • प्रभावों और उनके प्रबंधन के बारे में निगरानी और संचार: कैसे प्रभावों की निगरानी की जा रही है और उन्हे कम किया जा रहा है; किसी भी प्रकार के जुड़ने वाले या अप्रत्याशित प्रभावों के बारे में नया डाटा और प्रभावों को कम करने के विकल्पों के बारे में जानकारी;
  • प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन पर सामयिक जानकारी साझा करना: जैसे कि समझौते में रखे गए क्या साझा लाभ (जैसे–राजस्व साझा करना) अर्जित किए गए हैं; क्या कोई जारी क्षतिपूर्ति प्रतिबद्धताएं पूरी हो रही हैं? क्या यहाँ संयुक्त रूप से नए अवसर (जैसे, नई नौकरी की शुरुआत, स्थानीय ख़रीद के अवसर) या संयुक्त रूप से विकसित किए जाने वाले विचार मौजूद हैं?
  • परियोजना की संभावना या संभावित जीवन काल से संबंधित किसी भी नए विकास से संबंधित सामयिक जानकारी पर चर्चा करना: क्या भू-विज्ञान या संचालन के बारे में कोई नई जानकारी है, और संभावित निहितार्थ क्या हैं; आगे की सूचना कैसे दी जाएगी और इस पर कैसे विचार किया जाएगा.
  • एक निश्चित समय अन्तराल पर संबंध की कार्यक्षमता का आकलन करना: जैसे कि साझा की जा रही जानकारी और निर्णय लेने की प्रक्रियाएं, प्रोटोकॉल, उसका दोहराव या जारी सूचना साझाकरण को सक्रिय बनाना और निर्णय लेने का काम. क्या अतिरिक्त या विभिन्न भूमिकाओं या कार्यों की आवश्यकता है?

निर्माण और संचालन के चरण में, समुदायों की ज़रूरतें आंशिक रूप से कंपनी के साथ उनके जुड़ने और भरोसा रखने की उनकी निरंतर क्षमता के आसपास घूमती हैं. यह क्षमता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि क्या समुदाय को लगता है कि पूर्व-अनुमति के दौरान चिह्नित किए गए प्रभाव उम्मीदों के अनुरूप ठीक थे; क्या वादा किया गया मुआवजा और साझा लाभ दिया जा रहा है; और क्या किया जा रहा संचार सूचना की ज़रूरतों को पर्याप्त रूप से पूरा कर रहा है और किसी भी प्रकार की चिंताओं के समाधान में सहयोग दे रहा है.

फोटो साभार: न्यूमॉन्ट कॉरपोरेशन

यदि पूर्व-अनुमति चरण के विस्तृत समझौते मौजूद हैं, तो इस बात की निगरानी के लिए कि प्रतिबद्धताओं को कैसे पूरा किया जा रहा है और जब कंपनियाँ या सरकारें वादा पूरा नहीं कर रहीं हैं तो उन्हे जवाबदेह ठहराने के लिए यह एक उपयोगी उपकरण हो सकता है. यदि ऐसे दस्तावेज़ मौजूद नहीं हैं, तो समुदायों द्वारा अनुरोध करना चाहिए कि इसे विकसित किया जाए. कुछ कंपनियाँ मुद्दों से संबंधित व औपचारिक समझौतों से निकालने वाले अन्य प्रतिबद्धताओं को लिखने के लिए "प्रतिबद्धता रजिस्टरों" को भी रखती हैं. समुदाय इस काम को प्रोत्साहित कर सकते हैं. कुछ न्यायालयों में, कंपनी के साथ पूर्व-अनुमति चरण में किए गए समझौतों को राज्य, समुदाय और कंपनी के बीच विधायी व्यवस्था के तहत बड़े समझौतों में शामिल किया जाता है. समुदाय और कंपनी को अनुरोध करना चाहिए कि अधिक औपचारिक समझौते पूर्व-अनुमति चरण के समझौतों को बनाए रखने के लिए भत्ता की व्यवस्था करें.

प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के अलावा, संचालन के चरण में विश्वास और "एफ़.पी.आई.सी. की भावना" को बनाए रखने के लिए चल रहा कार्य और संचार भी महत्वपूर्ण है. आदर्श रूप से, औपचारिक समझौतों ने समुदाय के लिए सूचना हेतु अनुरोध करने और उसे प्राप्त करने और चिंताओं को सामने रखने तथा हल करने के लिए पहले से ही कई सारे तंत्रों और मंचों की पहचान की होगी. यदि ये मंच ज़रूरतों को पर्याप्त रूप से पूरा नहीं कर पा रहे हैं जिसके लिए इन्हे शुरू किया गाया था तो समुदाय इस सम्बन्ध में नया दृष्टिकोण सुझा सकते हैं, जो सदस्यों की ज़रूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सके.

यह मानव स्वभाव का एक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है कि वह उन रिश्तों को जो अच्छे से चल रहे हैं अथवा जिन्हें बनाए रखने के लिए थोड़ा ध्यान देने की ज़रूरत होती है, उसे महत्व नहीं देता अथवा उस रिश्ते को बनाए रखने में बहुत ही कम निवेश करता है. कंपनी-समुदाय संबंधों के बारे में कई कहानीयाँ मौजूद हैं जो समय के साथ "बासी" या लेन-देन वाले बन जाते हैं. इन स्थितियों में, यहाँ तक ​​कि बड़े विवाद न होने के बावजूद, समुदायों को कभी-कभी लगता है कि कंपनी का ध्यान बनाए रखने के लिए उन्हें "बोलने" की आवश्यकता है. रिश्तों को अवरुद्ध होने से बचने के लिए, समुदाय और कंपनियाँ दोनों ही संयुक्त रूप से आवधिक मूल्यांकन के लिए सहमत होने की इच्छा रख सकती हैं, जिसमें एक विश्वसनीय तृतीय पक्ष चिंता, अविश्वास और गलत मार्ग के क्षेत्रों को चिह्नित करने के लिए समुदाय के सदस्यों के साथ, और कंपनी के प्रतिनिधियों के साथ खुलकर बात कर सके. चर्चा से निकले हुए साझा परिणामों को संबंधों के सामर्थ्य, दूरी और अवसरों के साझा मूल्यांकन के आधार के रूप में दोनों पक्षों के साथ साझा किए जा सकते हैं. यदि यह समुदाय और कंपनी दोनों के द्वारा वैध माना जाता है, तो इस तरह की स्वतंत्र निगरानी उन धारणाओं को सत्यापित करने, चिंताओं और शिकायतों को तेजी से बढ़ने के पहले समझने और हल करने तथा प्रतिबद्धताओं और विश्वास की पुनः पुष्टि करने के लिए एक बहुमूल्य उपकरण हो सकते हैं.

आंतरिक चुनौतियाँ

प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के अलावा, संचालन के चरण में विश्वास और "एफ़.पी.आई.सी. की भावना" को बनाए रखने के लिए चल रहा कार्य और संचार भी महत्वपूर्ण है.

जब प्रभावों का एहसास होता है और लाभ या क्षतिपूर्ति वितरित की जाती है, समुदाय कई प्रकार की नई आंतरिक चुनौतियों का भी अनुभव कर सकते हैं. बड़े परियोजनाओं में महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव होते हैं, जो पारंपरिक समाजों और आंतरिक सामाजिक संबंधों को बदल सकते हैं. विकास अक्सर नए लोगों को क्षेत्र की और आकर्षित करते हैं, जो मौजूदा संसाधनों और बुनियादी ढांचे को तनाव में डाल सकते हैं. समुदाय में लंबे समय से रहने वाले लोग प्रभावों और लाभों के असमान वितरण की धारणाओं से निराश हो सकते हैं (जैसे- कंपनी द्वारा सभी को नौकरी पर नहीं रखा जा सकता है; कुछ लोगों पर पड़ने वाला प्रभाव दूसरों की तुलना में अधिक तीव्र हो सकता है). यह लोगों को आक्रोश या संघर्ष की ओर ले जा सकता है, साथ ही कुछ समुदाय के सदस्यों पर अनुचित दबाव भी पड़ सकता है. उदाहरण के लिए, स्थानीय कर्मचारी कभी-कभी परिवार या दोस्तों के साथ आय साझा करने के लिए दबाव का अनुभव करते हैं, या महसूस करते हैं कि उनसे व्यक्तिगत शिकायतों को हल करने में सक्षम होने की एकतरफा उम्मीद की जा रही है. समुदायों को नए दबावों और ख़तरों के अनुकूल ढलने की आवश्यकता हो सकती है, जो आंतरिक प्रशासन या निर्णय लेने के लिए नए तरीकों को अपनाने की ज़रूरत को दर्शाता है. पूर्व-संभावना चरण में सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव का आकलन प्रभावों को कम करने या उन प्रभाओं के बदले क्षतिपूर्ति करने और परियोजना काल में परिवर्तनों और प्रभावों की देखरेख करने की सोच और योजना रखता है.

निर्माण और संचालन चरण के दौरान, यदि उम्मीद वास्तविकता से मेल खाते हैं और यदि कंपनी तथा सरकारी प्रतिबद्धताओं को सम्मान दिया जा रहा, तो समुदाय इस बात का आकलन करता है. यदि पूर्व-अनुमति चरण में प्रत्याशित प्रभावों को कम कर के बताया गया था या लाभ को कम करके आंका गया था, तो कंपनियों को यह जाना चाहिए कि इन कारणों से समुदाय में असंतुष्ट और अविश्वास पैदा हो जाएंगे.

कंपनियों को संचालन से उत्पन्न होने वाले सांस्कृतिक और सामाजिक बदलावों के प्रति आंतरिक संवेदनशीलता और जागरूकता सुनिश्चित करनी चाहिए, बदलावों की लगातार निगरानी जारी रखनी चाहिए तथा समुदायों के साथ परामर्श करके बदलावों को समायोजित करना चाहिए और समय से इन प्रभावों का प्रबंधन करना चाहिए.

एफ़. पी.आई.सी. देशज समुदायों के अधिकारों की रक्षा करता है और यह निवेशकों तथा सरकार के लिए बेहतर परिणाम भी देता है.

- डॉ. कान्येन्केसेना, मासाई / ओगीक ,केन्या के लोग; निदेशक, इंडिजेनस पीपुल ऑफ़ अफ्रीका कोआर्डिनेशन कमेटी

अच्छे निगम की कार्यशैली हितधारकों के साथ कार्य करने से जुड़ी हुई है और संघर्ष प्रबंधन एफ़.पी.आई.सी. प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और तथा परियोजना काल में सहमति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हथियार हो सकता है. शिकायत तंत्र, प्रतिबद्धता रजिस्टरों, सार्वजनिक मंचों, समुदाय के साथ कार्य आदि को शुरू करने और बनाए रखने में कंपनियों को सहयोग देने और मार्गदर्शन करने के लिए व्यापक जानकारी और श्रोत उपलब्ध हैं.

समुदाय के साथ तनाव न दिखने को सामुदायिक कार्य कम करने के औचित्य के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. यह ध्यान देने योग्य है कि तनाव की इस तरह की अनुपस्थिति इस बात का भी संकेत हो सकती है कि सूचनाओं को साझा करने या शिकायतों को प्राप्त करने से संबंधित तंत्र लोगों के पहुंच से दूर या अप्रभावी हो सकते है. आगे, एफ़.पी.आई.सी. की भावना को बनाए रखना और वित्तीय घाटे तथा ख्याति को नुकसान पहुँचने के ख़तरों को कम करने के लिए संबंधों को बेहतर बनाने और समझौतों के कार्यान्वयन पर ध्यान देने के लिए चल रहे निवेश को बनाए रखने की ज़रूरत होती है. कंपनियों को समुदायों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं पर नज़र रखना चाहिए और इस बात की निगरानी करनी चाहिए कि उन्हें कैसे लागू किया जा रहा है. समय-समय पर तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन से जमीनी-हकीक़त का बोध कराने, जिन तनावों के बारे में कंपनी अनजान है उसे समझाने में, और समझौतों को कैसे लागू किया गया है इसका एक साझा मूल्यांकन प्रदान करने में मदद कर सकता है. समय के साथ, जानकारी साझा करने के लिए सहमत प्रोटोकॉल तथा संयुक्त निर्णय लेने, और समय के साथ सामुदायिक प्राथमिकताओं और ज़रूरतों में परिवर्तन को प्रकट करने जैसे कार्यों के समायोजन पर संयुक्त रूप से विचार करना मददगार हो सकता है.

निर्माण और संचालन संसाधन

समझौतों को भी देखें.

कंपनियों और समुदायों की संबंधित भूमिकाओं और ज़िम्मेदारियों को स्थापित करने में समझौते एफ़.पी.आई.सी. कार्यान्वयन का एक केंद्रीय हिस्सा हैं. ये समझौते यथार्थवादी उम्मीदों,...

निर्माण और संचालन संसाधन

एफ़.पी.आई.सी. की मूल भावना

एफ़.पी.आई.सी. का अर्थ है कि भावी विकास के बारे में सामुदायिक निर्णय हैं, इसमें शामिल हैं:

  • स्वतंत्र, सरकारों, कंपनियों, राजनीतिक दलों, और गैर सरकारी संगठनों जैसे तृतीय पक्षों द्वारा ज़बरदस्ती और हेरफेर से मुक्त. समुदाय के भीतर "कुलीनों" द्वारा हेरफेर से भी मुक्त; जिसमें पहुंच प्रक्रियाओं का समावेशीहोना महत्वपूर्ण हैं.
  • Made पूर्व गतिविधियों के प्रारंभ से पहले पूर्व में निर्धारित किया गया है कि समुदायों को भी उतना समय दिया जाना चाहिए जितना कि उन्हे विकल्पों को पूरी तरह से समझने, उनपर विचार करने तथा किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए आवश्यक है.
  • सूचित, उन सभी सूचनाओं को समुदायों के साथ मिलकर उन माध्यमों से प्राप्त करना जिन्हें वे विश्वसनीय, सुलभ और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त मानते हैं.
  • उन सभी सूचनाओं को समुदायों के साथ मिलकर उन माध्यमों से प्राप्त करना जिन्हें वे विश्वसनीय, सुलभ और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त मानते हैं. सहमति

एफ़.पी.आई.सी. का अर्थ है सहमति. समुदायों के लिए, एफ़.पी.आई.सी. का तात्विक महत्व और शक्ति सिर्फ परामर्श देने में नहीं है, बल्कि यह सहमति देने या इसे वापस लेने की क्षमता में निहित है. देशज समुदायों के पास नहीं (या, हाँ या फिर शर्तों के साथ हाँ ’कहने की क्षमता होनी चाहिए). यह एक परियोजना के सभी चरणों के लिए सच है.

यह मार्गदर्शिका "एफ़.पी.आई.सी. के मूल सिद्धांत" का बार-बार हवाला देती है, जिनमें निम्नलिखित का उल्लेख किया गया हैं:

  • एफ़.पी.आई.सी. कोई "बॉक्स में संकेत चिन्ह" लगाने वाला गतिविधि नहीं है. एफ़.पी.आई.सी. ढेर सारे मानवाधिकार और उनके सुरक्षा उपायों को शामिल करता है - जिसमें आत्मनिर्णय का अधिकार; स्वतंत्र ढंग से आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने तथा उनमें सार्थक भागीदारी करने जैसी बातें शामिल हैं. “एफ़.पी.आई.सी. के मूल सिद्धांत” के साथ संचालन का अर्थ है इन अधिकारों को पहचानना और उनकी अभिव्यक्ति को समर्थन देना.
  • एफ़.पी.आई.सी. का अर्थ है सहमति. समुदायों के लिए, एफ़.पी.आई.सी. का तात्विक महत्व और शक्ति सिर्फ परामर्श देने में नहीं है, बल्कि यह सहमति देने या इसे वापस लेने की क्षमता में निहित है. देशज समुदायों के पास नहीं (या, हाँ या फिर शर्तों के साथ हाँ ’कहने की क्षमता होनी चाहिए). यह एक परियोजना के सभी चरणों के लिए सच है
  • एफ़.पी.आई.सी. एक बारगी निर्णय नहीं है. किसी परियोजना के पूरे जीवनकाल के प्रत्येक चरणों में औपचारिक सहमति अवश्य प्राप्त की जानी चाहिए. प्रमुख निर्णयों के बीच, "एफ़.पी.आई.सी. भावना" के साथ संचालन का अर्थ है कि तय प्रोटोकॉल, प्रक्रियाओं, सक्रियता और सम्मान के साथ सहमति को बनाए रखना. इसलिए समुदायों को इसके बारे में बताया जाता है. उनके ज्ञान और वरियताओं को परियोजना संचालन में शामिल किया जाता है, और किसी भी प्रकार के संघर्ष या शिकायतें उठती हैं, तो उन्हें सार्थक रूप से निपटाने की कोशिश की जाती है. समय के साथ परियोजनाएं और समुदाय बदलते रहते हैं; इसलिए समझौतों में भी बदलाव करने की ज़रूरत होती है.
  • एफ़.पी.आई.सी. सिद्धांतों को शामिल करने में कभी बहुत अधिक देर नहीं हुई होती है. परियोजना के विकास के अग्रांत चरण की योजना रिश्तों को अच्छा बनाने के लिए सबसे अच्छी स्थिति पैदा करती है और एक परियोजना के लिए सच्ची सहमति तैयार करती है. हालांकि, यह हमेशा संभव नहीं है, जैसे कि उस स्थिति में जब परियोजना स्थल पर मध्यस्तरीय विकास का काम चल रहा हो. इन दृष्टांतों में, परियोजना स्थल पर परिवर्तन या विस्तार प्रस्तावित होने की स्थिति में एफ़.पी.आई.सी. का कार्यान्वयन सक्रिय हो सकता है, संबंधों को स्थापित किया जा सकता, उनमें सुधार हो सकता हो सकता है तथा उन्हे सुदृढ़ बनाया जा सकता है; और नए समझौते किए जा सकते हैं. यद्यपि शुरू से ही अच्छे समझौतों को विकसित करने को प्रमुखता से वरीयता दी जाती है, लेकिन विरासत में मिलने वाले विफल समझौतों से या जहाँ कंपनी-समुदाय संबंध स्थिर हो गए हैं, वहाँ सब कुछ खत्म नहीं हो जाता है. यथास्थिति का एक ईमानदार और पारदर्शी मूल्यांकन रिश्तों के सक्रियता को फिर से स्थापित करने में एक आवश्यक पहला कदम हो सकता है, और नए सामूहिक लक्ष्यों और निगरानी तंत्र स्थापित करने का अवसर पैदा कर सकता है.

समझौतों को भी देखें.

कंपनियों और समुदायों की संबंधित भूमिकाओं और ज़िम्मेदारियों को स्थापित करने में समझौते एफ़.पी.आई.सी. कार्यान्वयन का एक केंद्रीय हिस्सा हैं. ये समझौते यथार्थवादी उम्मीदों, संचार तथा परियोजना संशोधन के लिए एक पारस्परिक सहमति का आधार निर्धारित कर सकते हैं.

चुकि बड़ी परियोजनाओं में समय के साथ परिवर्तन होता रहता है और ढाँचे में जटिल होती हैं, इसलिए समय के साथ कई समझौते उपयुक्त हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, किसी परियोजना के पूर्व-संभावना चरण में, प्रभाव और लाभकारिता का ज्ञान नहीं होगा, इसलिए अल्पकालिक अवधि के लिए भूमि की उपलब्धता और संचार प्रोटोकॉल इसका अनुभव कराएगा. जब तक कि कोई परियोजना परिपक्व न हो तब तक समापन करने की विस्तृत योजना संपन्न नहीं हो सकती. जब एक परियोजना कई समुदायों को प्रभावित करती है, तो कई समझौतों की आवश्यकता हो सकती है, और पक्षों द्वारा "बहुस्तरीय समझौतों" को वरीयता देनी पड़ सकती है, ताकि कुछ तत्वों (जैसे, संचार प्रक्रियाओं) को समझौते के अन्य हिस्सों पर फिर से बातचीत किए बिना आसानी से समायोजित किया जा सके. प्रत्येक परियोजना और प्रत्येक समुदाय अपनेआप में विशिष्ट है; उसी समय, अच्छे समझौतों में निम्नलिखित विचार शामिल होने चाहिए:

कंपनियों और समुदायों के बीच समझौतों के कार्यान्वयन और प्रबंधन में विवादों और शिकायतों को निपटाने से संबंधित अधूरे दायित्वों और प्रोटोकॉल को पूरा करने के लिए योजनाओं, समयसीमा, आकस्मिक ख़र्चों / जवाबदेही तंत्र को निर्धारित करना चाहिए.

  1. संचार और निर्णय लेने की प्रक्रिया॰कंपनियाँ और समुदाय उस समय ज्यादा प्रभावी ढंग से एक दूसरे से बातचीत कर पाएंगी जब दोनों ही निर्णय लेने की संबंधित प्रक्रिया, प्राधिकरणों और शासन संरचनाओं की पहचान करेंगे और उनपर समझ बनाएँगे. यह सभी पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है कि वे जारी सूचनाओं को साझा करने, निर्णय लेने के प्रोटोकॉल, अपनी भूमिकाओं तथा समयसीमा से संबंधित प्रक्रिया, आवृत्ति और सक्रियक का विवरण रखें. इन विवरणों में किसी भी चुनाव या प्रतिनिधित्व की समीक्षा, विवादों को चिन्हित करने, उन पर चर्चा करने और उन्हें हल करने के प्रयास, संभावित महत्वपूर्ण घटनाएँ जिनके लिए एफ़.पी.आई.सी. की ज़रूरत होगी; और इनमें से किसी भी प्रोटोकॉल का पुनर्मूल्यांकन और / या संशोधन की प्रक्रिया और उसकी आवृत्ति शामिल हो. संबंध प्रबंधन पर समझौते को प्रभाव और लाभों से अलग करना अनपेक्षित परिस्थितियों, परियोजना संशोधनों, कंपनी के भीतर बदलाव, समुदाय में बदलाव, या संदर्भ के लिए एक स्थिर रूपरेखा प्रदान करता है.
  2. प्रभाव और मुआवज़ा-समुदाय और कंपनियों को एक परियोजना के पर्यावरणीय, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों के बारे में तथा कैसे प्रभावों का प्रबंधन किया जाएगा के सम्बन्ध में एक साझा समझ पर पहुँचना चाहिए. समझौते के इस भाग को आधारभूत पर्यावरण, सांस्कृतिक और सामाजिक आकलन के साथ-साथ औपचारिक ईएसएचआईए द्वारा सूचित किया जाना चाहिए. यह परियोजना के दौरान भूमि और अन्य प्राकृतिक संसाधनों तक सामुदायिक पहुंच में परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार होना चाहिए. यह भी वर्णन करना चाहिए कि प्रभावों की निगरानी कैसे की जाएगी और जुड़ने वाले प्रभावों और विकसित होते समाजिक और सांस्कृतिक वास्तविकताओं, मूल्यों, और क्षमताओं का हिसाब रखने के लिए समय के साथ पुर्नमूल्यांकन करना चाहिए. यह वह जगह भी है जहाँ समुदाय के प्रति कंपनी के प्रभाव को कम करने, उसकी निगरानी करने, प्रबंधन करने, क्षतिपूर्ति करने के प्रति प्रतिबद्धताओं को दर्ज किया जा सकता है. मूल्य निर्दिष्ट करने तथा प्रभावों के बदले मुआवज़े को वितरित करने की प्रक्रिया पर चर्चा की जानी चाहिए (जैसे- किसी कंपनी के लिए चारागाह का मूल्य एक चरवाहे के लिए चारागाह के मूल्य से अलग है; और समुदायों के लिए मूल्य हमेशा पैसे में नहीं होता है). जवाबदेही और लचीलेपन के दृष्टिकोण से, यह महत्वपूर्ण है कि समझौते निर्दिष्ट करें कि अगर कंपनियाँ इन प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करें तो क्या होगा.
  3. साझा लाभ-सामुदायिक लाभ प्रभाव क्षतिपूर्ति से भिन्न होते हैं, और यह नकारात्मक प्रभावों के लिए कंपनी द्वारा क्षतिपूर्ति के बीच अंतर करने के लिए उपयोगी हो सकता है, और सहमति से तय किया गया लाभ कंपनी समुदाय को वितरित करेगी. जब लाभ का स्तर वाणिज्यिक कारकों पर निर्भर करे जैसे कि वस्तु की कीमत, तो इसे समझौते में शामिल किया जा सकता है.

समझौतों को विकसित करने की प्रक्रिया उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी की अंतिम रूप देने के प्रक्रिया. यह सुनिश्चित करना कि समुदायों के पास पर्याप्त समय और श्रोत हैं (संभावित बाहरी परामर्शदाता सहित) एक संभावित समझौते के भीतर स्थितियों के बारे में पूरी तरह से विचार करना और विचार करने के लिए स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति हासिल करना आवश्यक है.

ये चर्चाएँ कंपनी और समुदाय को प्रभावों, भविष्य के विकास और लाभों के लिए एक सामूहिक दृष्टि और यथार्थवादी अपेक्षाएँ विकसित करने का अवसर प्रदान करती हैं. समझौते "ट्रस्ट निधियों" की भूमिका और कैसे समुदाय के भीतर विविध आवश्यकताओं को प्रतिबिंबित किया जा सकता है और उनमें हेरफेर को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है की देख रेख कर सकते हैं. कंपनियों और समुदायों के बीच समझौतों द्वारा कार्यान्वयन और प्रबंधन योजनाओं, समय सीमाओं, आकस्मिकताओं / जवाबदेही तंत्रों को निर्धारित करना चाहिए, जिसमें विवादों और शिकायतों के प्रबंधन के लिए बाध्यताविहीन समाधान और प्रोटोकॉल शामिल हों. की सफलता के लिए कंपनी संसाधनों का पर्याप्त आवंटन महत्वपूर्ण है. प्रभाव को कम करने, क्षतिपूर्ति और सामुदायिक लाभों के अनुरूप संचालन और पूंजीगत बजट के अलावा, कानूनी सलाहकार, स्वतंत्र निगरानी या सलाहकार के लिए श्रोत आवंटित करना अथवा समुदाय के सदस्यों के लिए पहचान की भूमिका को निभाने के लिए धन / क्षमता का आवंटन भी महत्वपूर्ण हो सकती है.

समझौतों को विकसित करने की प्रक्रिया उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी की अंतिम रूप देने के प्रक्रिया. यह सुनिश्चित करना कि समुदायों के पास पर्याप्त समय और श्रोत हैं (संभावित बाहरी परामर्शदाता सहित) एक संभावित समझौते के भीतर स्थितियों के बारे में पूरी तरह से विचार करना और विचार करने के लिए स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति हासिल करना आवश्यक है. समझौतों की ओर जाने वाले विचारशील, समावेशी जुड़ाव के महत्व पर अतिरिक्त दिशानिर्देश के लिए कृपया एफ़.पी.आई.सी. में समावेशिता और लिंग श्रोत देखें. यह सुनिश्चित करने के लिए कि समझौते समुदाय के लिए सकारात्मक परिणाम की ओर ले जाते हैं, समझौतों और सामुदायिक परिणामों का श्रोत भी ढेर सारे विचारों का आधार देता है. कृपया एफ़.पी.आई.सी. में समावेशिता और लिंग श्रोत देखें. यह सुनिश्चित करने के लिए कि समझौते समुदाय के लिए सकारात्मकपरिणाम की ओर ले जाते हैं, समझौतों और सामुदायिक परिणामों का श्रोत भी ढेर सारे विचारों का आधार देता है.

इसके अलावा संसाधन:
लिंग और समावेशन
अनुबंध और सामुदायिक बादलाव
Why Agreements Matter, 2016. Ali, S., Brereton, D., Cornish, G., Harvey, B., Kemp, D., Everingham, J. and Parmenter, J. This document contains a “How to guide” outlining key elements of agreements, good practices for inclusive engagement in agreement-making, and practical guidance for planning for successful implementation and monitoring.