निर्माण से गतिविधि और परिवर्तनों की एक बाढ़ आती है. लोगों, वाहनों और मशीनरी के प्रवाह के कारण शोर-शराबा और धूल का स्तर बढ़ सकता और साथ-साथ आवास, बाजार और अन्य स्थानीय प्रणालियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नई मांगों को दबाव बढ़ा सकता है. पूर्व-अनुमति चरण के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव आकलन प्रक्रिया में प्रभाव कम करने के उपाय के साथ अधिकांश प्रभावों की पहचान की जानी चाहिए. लेकिन यदि वास्तविकता अपेक्षाओं से भिन्न होती है या प्रत्याशित नहीं हैं, तो चिंताएं या तनाव उत्पन्न हो सकते हैं. प्रतिबद्धताओं को पूरा न करना या उन्हें पूरा करने में देरी असंतोष और अविश्वास पैदा कर सकती है.
निर्माण से गतिविधि और परिवर्तनों की एक बाढ़ आती है. लोगों, वाहनों और मशीनरी के प्रवाह के कारण शोर-शराबा और धूल का स्तर बढ़ सकता और साथ- साथ आवास, बाजार और अन्य स्थानीय प्रणालियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नई मांगों को दबाव बढ़ सकता है. पूर्व-अनुमति चरण के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव आकलन प्रक्रिया में प्रभाव कम करने के उपाय के साथ अधिकांश प्रभावों की पहचान की जानी चाहिए. लेकिन यदि वास्तविकता अपेक्षाओं से भिन्न होती है या प्रत्याशित नहीं हैं, तो चिंताएं या तनाव उत्पन्न हो सकते हैं. प्रतिबद्धताओं को पूरा न करना या उन्हें पूरा करने में देरी असंतोष और अविश्वास पैदा कर सकती है.
बहुत महत्वपूर्ण ढंग से परियोजना स्थल का "जीवन काल" कुछ वर्षों से लेकर कई दशकों तक का होता है. जब परियोजना स्थल का विकास होता है और वह संचालन के एक लय (सीमा) तक पहुँचती है, तो चल रहे कार्य, संचार, और संयुक्त निर्णय लेने (जैसे- मासिक बैठकें, शिकायत तंत्र, सामुदायिक विकास योजना) के लिए सहमत तरीका और प्रोटोकॉल को समय-समय पर संशोधित और समायोजित करने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सभी शामिल पक्षों की उभरती ज़रूरतों और वास्तविकताओं के अनुरूप हों.
परियोजना स्वामित्व और कंपनी कर्मचारी अक्सर परियोजना की खोज, निर्माण और दीर्घकालिक संचालन के परिवर्तनकाल में बदल जाते हैं. जब ऐसा होता है, तो समझौतों, प्रतिबद्धताओं और संचार प्रणाली को प्रभावी ढंग से स्थानांतरित करने के लिए प्रयासों की आवश्यकता हो सकती है. प्रतिबद्धताओं को स्थानांतरित करने में विफलता तनाव और अविश्वास का खतरा पैदा करती है.
पूर्व-अनुमति चरण में हुए समझौतों को परियोजना के विकास तथा संचालन चरण में संचार और कार्य करने के लिए एक रोडमैप के रूप में सहायक होना चाहिए. इस चरण में समुदायों और कंपनियों को निम्न कार्य करना चाहिए:
- कई विधियों से कार्य से जुड़ना, जैसे कि सामुदायिक संबंध अधिकारियों द्वारा नियमित दौरा; चुनौतियों या चिंताओं को समेटने, उन्हे हल करने तथा उनपर संवाद करने के लिए एक शिकायत तंत्र का उपयोग; किसी निश्चित अंतराल पर बैठकों का आयोजन; सामुदायिक विकास निधियों और परियोजनाओं के संचालन की देखरेख या सलाह देने के लिए संयुक्त समितियाँ; आदि.
- प्रभावों और उनके प्रबंधन के बारे में निगरानी और संचार: कैसे प्रभावों की निगरानी की जा रही है और उन्हे कम किया जा रहा है; किसी भी प्रकार के जुड़ने वाले या अप्रत्याशित प्रभावों के बारे में नया डाटा और प्रभावों को कम करने के विकल्पों के बारे में जानकारी;
- प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन पर सामयिक जानकारी साझा करना: जैसे कि समझौते में रखे गए क्या साझा लाभ (जैसे–राजस्व साझा करना) अर्जित किए गए हैं; क्या कोई जारी क्षतिपूर्ति प्रतिबद्धताएं पूरी हो रही हैं? क्या यहाँ संयुक्त रूप से नए अवसर (जैसे, नई नौकरी की शुरुआत, स्थानीय ख़रीद के अवसर) या संयुक्त रूप से विकसित किए जाने वाले विचार मौजूद हैं?
- परियोजना की संभावना या संभावित जीवन काल से संबंधित किसी भी नए विकास से संबंधित सामयिक जानकारी पर चर्चा करना: क्या भू-विज्ञान या संचालन के बारे में कोई नई जानकारी है, और संभावित निहितार्थ क्या हैं; आगे की सूचना कैसे दी जाएगी और इस पर कैसे विचार किया जाएगा.
- एक निश्चित समय अन्तराल पर संबंध की कार्यक्षमता का आकलन करना: जैसे कि साझा की जा रही जानकारी और निर्णय लेने की प्रक्रियाएं, प्रोटोकॉल, उसका दोहराव या जारी सूचना साझाकरण को सक्रिय बनाना और निर्णय लेने का काम. क्या अतिरिक्त या विभिन्न भूमिकाओं या कार्यों की आवश्यकता है?
निर्माण और संचालन के चरण में, समुदायों की ज़रूरतें आंशिक रूप से कंपनी के साथ उनके जुड़ने और भरोसा रखने की उनकी निरंतर क्षमता के आसपास घूमती हैं. यह क्षमता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि क्या समुदाय को लगता है कि पूर्व-अनुमति के दौरान चिह्नित किए गए प्रभाव उम्मीदों के अनुरूप ठीक थे; क्या वादा किया गया मुआवजा और साझा लाभ दिया जा रहा है; और क्या किया जा रहा संचार सूचना की ज़रूरतों को पर्याप्त रूप से पूरा कर रहा है और किसी भी प्रकार की चिंताओं के समाधान में सहयोग दे रहा है.
यदि पूर्व-अनुमति चरण के विस्तृत समझौते मौजूद हैं, तो इस बात की निगरानी के लिए कि प्रतिबद्धताओं को कैसे पूरा किया जा रहा है और जब कंपनियाँ या सरकारें वादा पूरा नहीं कर रहीं हैं तो उन्हे जवाबदेह ठहराने के लिए यह एक उपयोगी उपकरण हो सकता है. यदि ऐसे दस्तावेज़ मौजूद नहीं हैं, तो समुदायों द्वारा अनुरोध करना चाहिए कि इसे विकसित किया जाए. कुछ कंपनियाँ मुद्दों से संबंधित व औपचारिक समझौतों से निकालने वाले अन्य प्रतिबद्धताओं को लिखने के लिए "प्रतिबद्धता रजिस्टरों" को भी रखती हैं. समुदाय इस काम को प्रोत्साहित कर सकते हैं. कुछ न्यायालयों में, कंपनी के साथ पूर्व-अनुमति चरण में किए गए समझौतों को राज्य, समुदाय और कंपनी के बीच विधायी व्यवस्था के तहत बड़े समझौतों में शामिल किया जाता है. समुदाय और कंपनी को अनुरोध करना चाहिए कि अधिक औपचारिक समझौते पूर्व-अनुमति चरण के समझौतों को बनाए रखने के लिए भत्ता की व्यवस्था करें.
प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के अलावा, संचालन के चरण में विश्वास और "एफ़.पी.आई.सी. की भावना" को बनाए रखने के लिए चल रहा कार्य और संचार भी महत्वपूर्ण है. आदर्श रूप से, औपचारिक समझौतों ने समुदाय के लिए सूचना हेतु अनुरोध करने और उसे प्राप्त करने और चिंताओं को सामने रखने तथा हल करने के लिए पहले से ही कई सारे तंत्रों और मंचों की पहचान की होगी. यदि ये मंच ज़रूरतों को पर्याप्त रूप से पूरा नहीं कर पा रहे हैं जिसके लिए इन्हे शुरू किया गाया था तो समुदाय इस सम्बन्ध में नया दृष्टिकोण सुझा सकते हैं, जो सदस्यों की ज़रूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सके.
यह मानव स्वभाव का एक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है कि वह उन रिश्तों को जो अच्छे से चल रहे हैं अथवा जिन्हें बनाए रखने के लिए थोड़ा ध्यान देने की ज़रूरत होती है, उसे महत्व नहीं देता अथवा उस रिश्ते को बनाए रखने में बहुत ही कम निवेश करता है. कंपनी-समुदाय संबंधों के बारे में कई कहानीयाँ मौजूद हैं जो समय के साथ "बासी" या लेन-देन वाले बन जाते हैं. इन स्थितियों में, यहाँ तक कि बड़े विवाद न होने के बावजूद, समुदायों को कभी-कभी लगता है कि कंपनी का ध्यान बनाए रखने के लिए उन्हें "बोलने" की आवश्यकता है. रिश्तों को अवरुद्ध होने से बचने के लिए, समुदाय और कंपनियाँ दोनों ही संयुक्त रूप से आवधिक मूल्यांकन के लिए सहमत होने की इच्छा रख सकती हैं, जिसमें एक विश्वसनीय तृतीय पक्ष चिंता, अविश्वास और गलत मार्ग के क्षेत्रों को चिह्नित करने के लिए समुदाय के सदस्यों के साथ, और कंपनी के प्रतिनिधियों के साथ खुलकर बात कर सके. चर्चा से निकले हुए साझा परिणामों को संबंधों के सामर्थ्य, दूरी और अवसरों के साझा मूल्यांकन के आधार के रूप में दोनों पक्षों के साथ साझा किए जा सकते हैं. यदि यह समुदाय और कंपनी दोनों के द्वारा वैध माना जाता है, तो इस तरह की स्वतंत्र निगरानी उन धारणाओं को सत्यापित करने, चिंताओं और शिकायतों को तेजी से बढ़ने के पहले समझने और हल करने तथा प्रतिबद्धताओं और विश्वास की पुनः पुष्टि करने के लिए एक बहुमूल्य उपकरण हो सकते हैं.
आंतरिक चुनौतियाँ
जब प्रभावों का एहसास होता है और लाभ या क्षतिपूर्ति वितरित की जाती है, समुदाय कई प्रकार की नई आंतरिक चुनौतियों का भी अनुभव कर सकते हैं. बड़े परियोजनाओं में महत्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव होते हैं, जो पारंपरिक समाजों और आंतरिक सामाजिक संबंधों को बदल सकते हैं. विकास अक्सर नए लोगों को क्षेत्र की और आकर्षित करते हैं, जो मौजूदा संसाधनों और बुनियादी ढांचे को तनाव में डाल सकते हैं. समुदाय में लंबे समय से रहने वाले लोग प्रभावों और लाभों के असमान वितरण की धारणाओं से निराश हो सकते हैं (जैसे- कंपनी द्वारा सभी को नौकरी पर नहीं रखा जा सकता है; कुछ लोगों पर पड़ने वाला प्रभाव दूसरों की तुलना में अधिक तीव्र हो सकता है). यह लोगों को आक्रोश या संघर्ष की ओर ले जा सकता है, साथ ही कुछ समुदाय के सदस्यों पर अनुचित दबाव भी पड़ सकता है. उदाहरण के लिए, स्थानीय कर्मचारी कभी-कभी परिवार या दोस्तों के साथ आय साझा करने के लिए दबाव का अनुभव करते हैं, या महसूस करते हैं कि उनसे व्यक्तिगत शिकायतों को हल करने में सक्षम होने की एकतरफा उम्मीद की जा रही है. समुदायों को नए दबावों और ख़तरों के अनुकूल ढलने की आवश्यकता हो सकती है, जो आंतरिक प्रशासन या निर्णय लेने के लिए नए तरीकों को अपनाने की ज़रूरत को दर्शाता है. पूर्व-संभावना चरण में सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव का आकलन प्रभावों को कम करने या उन प्रभाओं के बदले क्षतिपूर्ति करने और परियोजना काल में परिवर्तनों और प्रभावों की देखरेख करने की सोच और योजना रखता है.
निर्माण और संचालन चरण के दौरान, यदि उम्मीद वास्तविकता से मेल खाते हैं और यदि कंपनी तथा सरकारी प्रतिबद्धताओं को सम्मान दिया जा रहा, तो समुदाय इस बात का आकलन करता है. यदि पूर्व-अनुमति चरण में प्रत्याशित प्रभावों को कम कर के बताया गया था या लाभ को कम करके आंका गया था, तो कंपनियों को यह जाना चाहिए कि इन कारणों से समुदाय में असंतुष्ट और अविश्वास पैदा हो जाएंगे.
कंपनियों को संचालन से उत्पन्न होने वाले सांस्कृतिक और सामाजिक बदलावों के प्रति आंतरिक संवेदनशीलता और जागरूकता सुनिश्चित करनी चाहिए, बदलावों की लगातार निगरानी जारी रखनी चाहिए तथा समुदायों के साथ परामर्श करके बदलावों को समायोजित करना चाहिए और समय से इन प्रभावों का प्रबंधन करना चाहिए.
अच्छे निगम की कार्यशैली हितधारकों के साथ कार्य करने से जुड़ी हुई है और संघर्ष प्रबंधन एफ़.पी.आई.सी. प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और तथा परियोजना काल में सहमति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हथियार हो सकता है. शिकायत तंत्र, प्रतिबद्धता रजिस्टरों, सार्वजनिक मंचों, समुदाय के साथ कार्य आदि को शुरू करने और बनाए रखने में कंपनियों को सहयोग देने और मार्गदर्शन करने के लिए व्यापक जानकारी और श्रोत उपलब्ध हैं.
समुदाय के साथ तनाव न दिखने को सामुदायिक कार्य कम करने के औचित्य के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. यह ध्यान देने योग्य है कि तनाव की इस तरह की अनुपस्थिति इस बात का भी संकेत हो सकती है कि सूचनाओं को साझा करने या शिकायतों को प्राप्त करने से संबंधित तंत्र लोगों के पहुंच से दूर या अप्रभावी हो सकते है. आगे, एफ़.पी.आई.सी. की भावना को बनाए रखना और वित्तीय घाटे तथा ख्याति को नुकसान पहुँचने के ख़तरों को कम करने के लिए संबंधों को बेहतर बनाने और समझौतों के कार्यान्वयन पर ध्यान देने के लिए चल रहे निवेश को बनाए रखने की ज़रूरत होती है. कंपनियों को समुदायों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं पर नज़र रखना चाहिए और इस बात की निगरानी करनी चाहिए कि उन्हें कैसे लागू किया जा रहा है. समय-समय पर तीसरे पक्ष द्वारा मूल्यांकन से जमीनी-हकीक़त का बोध कराने, जिन तनावों के बारे में कंपनी अनजान है उसे समझाने में, और समझौतों को कैसे लागू किया गया है इसका एक साझा मूल्यांकन प्रदान करने में मदद कर सकता है. समय के साथ, जानकारी साझा करने के लिए सहमत प्रोटोकॉल तथा संयुक्त निर्णय लेने, और समय के साथ सामुदायिक प्राथमिकताओं और ज़रूरतों में परिवर्तन को प्रकट करने जैसे कार्यों के समायोजन पर संयुक्त रूप से विचार करना मददगार हो सकता है.